धनतेरस हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो दीवाली के ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है। यह दिन धन, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन बाजारों में रौनक छा जाती है और लोग नए बर्तन, सोना-चांदी, वाहन या घर के सामान की खरीदारी करते हैं।
🌟 धनतेरस का महत्व
धनतेरस का अर्थ है – धन (समृद्धि) और तेरस (त्रयोदशी तिथि)। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन को स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है।
लोग इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर देव की भी पूजा करते हैं ताकि घर में धन और सौभाग्य की वृद्धि हो।
🕯️ धनतेरस की पूजा विधि
1. प्रातः स्नान के बाद घर की सफाई करें और दरवाजे पर रंगोली बनाएं।
2. शाम के समय भगवान धन्वंतरि, कुबेर देव और मां लक्ष्मी की पूजा करें।
3. दीये जलाकर घर के प्रत्येक कोने में प्रकाश करें।
4. इस दिन नए बर्तन, सोना-चांदी या स्टील की वस्तु खरीदना शुभ माना जाता है।
5. "ॐ धन धन्य नमः" और "ॐ श्री धन्वंतरये नमः" मंत्रों का जाप करें।
💰 धनतेरस पर क्या खरीदना शुभ होता है?
सोना या चांदी के सिक्के
बर्तन (तांबे या स्टील के)
झाड़ू (घर में लक्ष्मी का प्रवेश प्रतीक)
धनिया के बीज (आगामी वर्ष में धन वृद्धि के लिए)
इलेक्ट्रॉनिक सामान या वाहन (यदि आवश्यक हो)
🎇 धनतेरस से जुड़ी मान्यताएं
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन दीपदान करता है, उसके घर में यम देवता का प्रभाव नहीं पड़ता और परिवार को स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए कई लोग धनतेरस की रात यमदीपदान भी करते हैं।
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