करवा चौथ हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी जीवन की कामना के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चाँद निकलने तक निर्जला व्रत रखती हैं — यानी ना खाना, ना पानी।
🪔 करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ सिर्फ एक धार्मिक व्रत नहीं, बल्कि यह प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि जो पत्नी सच्चे मन से यह व्रत रखती है, उसके पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन सुखमय बनता है।
🌸 करवा चौथ की कथा (Karwa Chauth Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, वीरवती नाम की एक रानी ने अपने सात भाइयों के कहने पर अधूरा व्रत तोड़ दिया था। जिसके कारण उसके पति की मृत्यु हो गई। बाद में देवी पार्वती की कृपा से उसने पुनः व्रत रखा और अपने पति को जीवनदान मिला। तभी से यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत पवित्र माना जाता है।
🌺 करवा चौथ पूजा विधि
1. सुबह सरगी: सास अपनी बहू को सरगी देती हैं जिसमें फल, मिठाई और अन्य चीजें होती हैं।
2. व्रत प्रारंभ: सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत शुरू किया जाता है।
3. पूजा तैयारी: शाम को महिलाएं सोलह श्रृंगार करके करवा माता की पूजा करती हैं।
4. कथा श्रवण: करवा चौथ की कथा सुनी जाती है।
5. चाँद दर्शन: रात में चाँद देखने के बाद पति के हाथ से जल पीकर व्रत तोड़ा जाता है।
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